.
GURUTVA JYOTISH
A Part of  GURUTVA KARYALAY
Monthly Astrology Magazines
.
You Can Read In Monthly Rashi Phal, Panchang, Festivle Deatail, Auspicious Yog, Astrology, Numerology, Vastu, Mantra, Yantra, Tantra, Easy Remedy Etc, Related Article,
Non Profitable Publication  by Public Intrest Call us : 91+9338213418, 91+9238328785
Ad By : SWASTIK SOFTECH INDIA

Friday, 9 November 2018

स्थिर लक्ष्मी के लिए करें इन सात दुर्लभ सामग्रीयों के उपाय

स्थिर लक्ष्मी के लिए करें इन सात दुर्लभ सामग्रीयों के उपाय
Article courtesy: GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine November-2018
लेख सौजन्यगुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रिका (नवम्बर-2018) 
रक्त गुंजा
गुंजा एक दुर्लभ वनस्पति का बीज हैं। तंत्र शास्त्र में यह एक दुर्लभ एवं अत्यन्त प्रभावशाली वस्तु मानी जाती है। गुंजा प्रायः सफदे, लाल कालें रगं के बीज स्वरुप में पायी जाती हैं। विभिन्न तंत्र क्रियाओं में गुंजा बीज के साथ-साथ गुंजा के जड़ का भी विशेष रुप से प्रयोग किया जाता हैं।
गुंजा बीजों का प्रयोग विभिन्न कार्य उद्देश्य की पूर्ति हेतु किया जाता हैं। लाल गुंजा का प्रयोग विशेष रुप से लक्ष्मी प्राप्ति के लिये किया जाता हैं। लाल गुंजा पर एक काले रंग का छोटा बिंदू होता हैं। एसा माना जाता हैं की रक्त गुंजा से घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि तो होती ही हैं साथ ही साथ में मां महालक्ष्मी की कृपा भी घर पर बनी रहती हैं।
v    दीपावली के दिन रक्त गुंजा के इक्कीस या ग्यारह दानों को गंगा जल से पवित्र करके पूजा स्थान रखदेना चाहिए। पूजा के पश्चयात गुंजा के दानों को अपनी तिजोरी, कैशबोक्स, गल्ले में लाल कपड़े में बांधकर से दिनों दिन परिवार की आर्थिक समृद्धि बढ़ती हैं।
v    मंत्र द्वारा सिद्ध रक्त गुंजा के इक्कीस या ग्यारह दानों को अपने व्यवसाय या ओफिस में रोकड़ रखने के साथ में रखने से धन की कभी कमी नहीं होती और कैश बोक्स कभी खाली नहीं रहता, लक्ष्मी जी का आशिर्वाद बना रहता हैं।
v    यदि मंत्र सिद्ध कि हुई रक्त गुंजा की माला को कोई व्यक्ति गले में धारण कर्ता हैं तो वह सर्वजन वशीकर के समान प्रभावशाली होती हैं। रक्त गुंजा की माला को केवल प्रयोग के समय या किसी महत्व पूर्ण कार्य या व्यक्ति से मिलते समय ही धारण करें, अनावश्य होने पर उसे उतार कर अपने पूजा सथान में रखदें।
v    किसी महत्वपूर्ण कार्य उद्देश्य की पूर्ति हेतु मंत्र सिद्ध रक्त गुंजा के इक्कीस दानों को अपने साथ लेकर घर से बाहर निकले, कार्य उद्देश्य पूर्ण होने पर उसे बहते जल में प्रवाहित कर दें।

नाग केशर
नाग केसर अति पवित्र एवं उर्लभ वनस्पतियों में से एक मानी जाती हैं। इसे नागकेश्वर के नाम से भी जाना जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं में नाग केशर का स्थान प्रमुख वस्तुओं अग्रस्त हैं। तंत्र गंथों में नाग केशर के विभिन्न प्रयोगों का वर्णन मिलता हैं। धनप्राप्ति एवं सुख-समृद्धि हेतु भी नाग केशर का उपयोग किया जाता हैं।
v    चांदी (यदि उपल्बध नहों को अन्य धातु ) की एक छोटी सी डिब्बी में नागकेशर को शहद के साथ मिलाकर ढ़क्कन लगाकर उसे बंद करदें। दीपावली की रात्रि में उसे पूजन के बाद में तिजोरी में रखदे। अगली दीवाली को उस डिब्बी को खोल कर नागकेशर और शहद को बदल दें। एकबार डिब्बी रखदेने के बाद उसे खोले नहीं उसे बंध ही रहने दे।
v    धन-समृद्धि की प्राप्ति हेतु एक नविन पीले वस्त्र में नागकेशर, साबुत हल्दी, सुपारी, एक तांबे का सिक्का, एक पांच या दस का सिक्का, अक्षत को एक साथ कर के उसको कपडे़ में बांध दें। फिस उसे धूप-दीप से पूजन करके अपनी तिजोरी में रखकर प्रतिदिन पूजन के समय उसे धूप दें तो धनलाभ होने लगेगा।
v    दीपावली की रात या अन्य किसी शुभ मुहूर्त में नागकेशर और पांच सिक्कों को लेकर उसे पूजा स्थान पर रखदे फिर पूजन की समाप्ति के बाद उसे एक पीले कपडे़ में बांध कर अपने व्यवसायीक प्रतिष्ठान के गल्ले, तिजोरी आदि धन रखने वाले स्थान पर रख दें। इस प्रयोग से व्यक्ति को कभी धन की कमी नहीं रहेगी।
v    धन प्राप्ति के लिए के लिए सोमवार युक्त पूर्णिमा के दिन शिवमंदिर में शिवलिंग का कच्चे, दूघ, दही, शहद चीनी और घी अर्थात पंचामृत से अभिषेक करें। फिर शिवलिग का गंगाजल से अभिषेक करें। तत्पश्चयात पांच बिल्वपत्रों के साथ में पांच नागकेशर को शिवलिंग पर अर्पित करें। यह क्रिया प्रतिदिन अलगी पूर्णिमा तक नियमित रुप से करें। अंतिक दिन चढा़ए गये नागकेशर एवं बिल्वपत्रों में से एक बिल्वपत्र एवं थोडा़ नागकेशर घर वापस ले आये उसे अपनी तिजोरी में रखदें। इस प्रयोग से अत्याधिक धनलाभ की प्राप्ति होती हैं।

गोमति चक्र
गोमति चक्र समुद्र से प्राप्त होने वाली दुर्लभ वस्तुओं में से एक हैं। क्योकि यह आसानी से प्राप्त नहीं होता यह एक सफेद रंगका गोलाकार दिखने में सीप से मिलता-जुलता प्रतित होता हैं। हालांकी कई गोमति चक्र पूर्णतः सफेद नहीं होती उसके उपर गेहुवें और काले रंग की पलती धारीया होती हैं, जब यह धारीया घीस या उसे पोलिस किया जाता हैं तब यह सफेद रंग का नजर आने लगता हैं। इस के उपर चक्र जैसे आकृतिया कृदरति और पर पाई जाती हैं इस लिए इसे गोमति चक्र कहते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार समुद्र से प्राप्त होने वाले सभी वस्तुये प्रायः लक्ष्मी प्राप्ति हेतु पूजन में प्रयुक्त होती हैं। गोमति चक्र भी समुद्र से प्राप्त होता हैं और लक्ष्मी की प्रिय वस्तु होने से लक्ष्मी पूजन में इसका विशेष महत्व हैं। 
पुरातन काल से ही गोमति चक्र को लक्ष्मी प्राप्ति के अलागा अन्य तंत्र प्रयोगो एवं कामना पूर्ति हेतु भी इसका विशेष रुप से प्रयोग किया जाता हैं। क्योकि विद्वानों के मतानुसार सिद्ध गोमति चक्र से विभिन्न मनोकामनाएं सरलता से पूर्ण की जासकती हैं।
v    दीपावली की रात को पांच मंत्र सिद्ध गोमति चक्र को स्थापित करके उसका साक्षात लक्ष्मी रुप में पूजन करने से उसका विधिवत पूजन करने से व्यक्ति को जीवन में निरंतर धन की प्राप्ति होती रहती हैं।
v    दीपावली के दिन 11 गोमती चक्र और 11 पीली कोडियों दोनों को को एक पीले कपडे पर रख रखकर कर पूजन करें। फिर "ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं" मंत्र का पांच माला करके उसे कपडे़ में बांधकर अपने तिजोरी में स्थापित करने से धन लाभ की प्राप्ति होती हैं। 

पीली कौड़ियां
पौराणिक काल से ही कौड़ियों को सौभाग्य कारक मानी जाती हैं। देश एवं विदेश की विभिन्न सभ्यताओं एवं प्रांतो में कौड़ियों के विभिन्न छोट-बडे प्रयोग होते आये हैं। पूरातन काल में जन सिक्को का चलन नहीं था तब लोग कौड़ियों का नगद्दी के रुप में प्रयोग करते थे। लोग कौड़ियों का आदान-प्रदान करके चिज-चस्तु खरिदते और बेचते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार समुद्र से प्राप्त होने वाले सभी वस्तुये प्रायः लक्ष्मी प्राप्ति हेतु पूजन में प्रयुक्त होती हैं। कौड़ियां भी समुद्र से प्राप्त होता हैं और पीली कौड़ियां लक्ष्मी की अति प्रिय वस्तु होने से लक्ष्मी पूजन में इसका विशेष महत्व हैं। 
v    दीपावली की रात में 11 पीली कौड़ियों पूजा स्थान में रखदें पूजन की समाप्ति पर उसे अपने तिजोरी में गहने इत्यादि के साथ में रखदें तो परिवार में गहने-जेवरात की वृद्धि होने लगती हैं। अगले वर्ष पुनः दीपावली पूजन के समय कौड़ियों को बदलदे। 
v    दीपावली की रात में 11 पीली कौड़ियों को अपने घर या व्यवसायीक स्थान में तिजोरी में रखने से व्यापार और धन की में वृद्धि होती हैं।
हकीक
हकीक एक प्रकार का उपरत्न हैं, जिसका उपयोग विभिन्न तंत्र प्रयोग एवं धनप्राप्ति हेतु विशेष रुप से किया जाता हैं। यह एक अत्यंत प्रभावशाली पत्थर माना जाता हैं।
हकीक के प्रभावों के विषय कुछ जानकार विद्वानो का अनुभव हैं की हकीक को यदि कोई व्यक्ति धारण नहीं करके केवल अपने साथ रखता हैं तो भी वह अपना चमत्कारी प्रभाव दिखा ही देता हैं।
v    दीपावली के दिन पूजान के समय 21 हकीक को स्थापीत करदे पूजन के पश्चयात उसे दीपावली के दिन ही जमीन में गाढ़देने से व्यक्ति को निरंतर धन लाभ होता रहता हैं।
v    मनोकामना पूर्ति हेतु ग्यारह हकीक पत्थर को अपने पूजा स्थान पर रख कर अलगले दिन उसे मंदिर में चढाने से मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती हैं।
v    दीपावली के दिन हकीक माला से लक्ष्मी मंत्र का एक माला जप करके। माला को धारण करने से देवी लक्ष्मी की हमेंशा कृपाद्रष्टि बनी रहती हैं। मंत्र: " ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः।"
v    लक्ष्मी जी के चित्र को 27 हकीक पत्थर के उपर स्थापित करने से व्यक्ति को निश्चित रुप से आर्थिक लाभ प्राप्त होता हैं। 
 लघु श्रीफल
लघु श्रीफल एक प्रकार का छोटे स्वरुप का नारियल होता हैं। जिसके ऊपर नारियल के समान ही जटाएं होती हैं जो करीब एक ईच जितना बडा़ होता हैं। लघु श्रीफल को नारियल का लघुरुप माना जाता हैं। लघु श्रीफल का प्रयोग विशेष रुप से लक्ष्मी प्राप्ति हेतु किया जाता हैं।
क्योकि लघु श्रीफल मां महालक्ष्मी का यह प्रिय फल मानाजाता हैं और एसी मान्यता हैं की जिसके पास लघु श्रीफल होता हैं देवी लक्ष्मी निश्चित रुप से उस पर कृपा करती हैं। लघु श्रीफल के पूजन से मां लक्ष्मी खिंची चली आती हैं।
v    जिस भी घर में लघु श्रीफल होता हैं वहां सुख-संपन्नता और वैभव का वास होता हैं।
v    यदि लघु श्रीफल को व्यवसायीक स्थान पर रखने से व्यापार में दिन प्रति दिन उन्नति होती रहती हैं।
v    विद्वानो का कथन हैं की यदि किसी व्यक्ति को सौभाग्य से 11 लघु श्रीफल प्राप्त हो जाये तो उसके जन्मों-जन्म की दरिद्रता का अंत हो जाता हैं और यदि किसी व्यक्ति के घर में 1 लघु श्रीफल का पूजन होता हों वहां से दुखः, दरिद्रता कोसो दूर रहती हैं।
 काली हल्दी
जिस प्रकार से हल्दी पीले रंगी को होती हैं। उसी प्रकार एक दुर्लभ जाती की काले रंगकी हल्दी भी पाई जाती हैं। काली हल्दी को कृष्ण हरिद्रा के नाम से जाना जाता हैं। काली हल्दी की सुगंध कपूर से मिलती-जुलती होती हैं। काली हल्दी को मुख्यतः तंत्र क्रियाओं एवं लक्ष्मी प्राप्ति हेतु एक दुर्लभ औषधि मानते हैं।
v    जिस भवन में मंत्र सिद्ध काली हल्दी का पूजन करने से भवन में धन-सौभाग्य की स्वतः वृद्धि होने लगती हैं।
दीपावली के दिन या अन्य किसी शुभ मुहूर्त में काली हल्दी को धूप-दीप आदि से पूजन कर के अपनी तिजोरी या धन रखने वाले स्थान पर रखने से धन का कभी अभाव नहीं रहता हैं।
 GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
(File Size : 7.07 MB)
(If you Show Issue with this link Click on  Below Link)
Article courtesy: GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine November-2018
लेख सौजन्यगुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रिका (नवम्बर-2018) 

No comments:

Post a Comment